सय्यद हसन नसरुल्लाह की ज़िंदगी पर एक निगाह (2)
आपकी बहादुरी की मिसाल इससे बढ़ कर और क्या हो सकती है कि जहां बड़े बड़े राजनेता और संगठन के लीडर अपने बेटों को देश विदेश की बड़ी यूनिवर्सिटियों में पढ़ने के लिए भेजते हैं वहीं आपने अपने बेटों को लेबनान के जवानों के साथ ज़ायोनी हमलों का मुक़ाबला करने के लिए उन्हीं के साथ भेज दिया और जब आपके बेटे की शहादत की ख़बर आई तो दुनिया के किसी चैनल और मैगज़ीन ने नहीं लिखा कि आपने अपने बेटे की शहादत पर दुख का इज़हार किया हो, बल्कि आपको अपने बेटे हादी की शहादत पर लोगों से दुख जताने के बजाए बधाई की उम्मीद थी, आपके ईमान की बुलंदी का यह आलम था कि अपने जवान बेटे की शहादत की ख़बर पर वैसी ही प्रतिक्रिया ज़ाहिर की जैसी बाक़ी दूसरी ख़बरों पर ज़ाहिर करते हैं।
विलायत पोर्टल :
हिज़्बुल्लाह की कामयाबी का प्रभाव
हिज़्बुल्लाह की लगातार कामयाबी ने राजनैतिक और सैन्य क्षेत्र में फ़िलिस्तीन को काफ़ी प्रभावित किया, फ़िलिस्तीन के उन बे घर और आवारा लोगों विशेष कर जवानों जिन्होंने सालों से वार्ता से मामले के हल होने की उम्मीद लगा रखी थी उन्होंने समझ लिया था कि फ़िलिस्तीनियों की मुश्किल ज़ायोनी दरिंदों के साथ वार्ता से हल होने वाली नहीं है और फिर वहीं से मस्जिदे अक़्सा को बचाने की मुहिम शुरू हुई।
हमास का हौसला और उनकी ताक़त तब और भी बढ़ गई जब उनके उम्मीदवारों को फ़िलिस्तीन के चुनाव में सफ़लता हासिल हुई जो अब अरब और इस्राईल की 6 दिनों की जंग में ख़त्म होने वाली नहीं है, और फिर सय्यद हसन नसरुल्लाह ने भी अवैध राष्ट्र से अपने संदेश में कहा कि अब जब तुमने जंग छेड़ ही दी है तो सुन लो, अब मोहम्मद (स.अ.) अली (अ.स.) हसन (अ.स.) और हुसैन (अ.स.) की औलाद और पैग़म्बर स.अ. के अहलेबैत और उनके असहाब से मोहब्बत करने वालों से तुम्हारा सामना है, तुम ऐसे इंसानों के सामने लड़ने खड़े हुए हो जो इस ज़मीन पर रहने वालों में सबसे ज़्यादा बा ईमान हैं, तुमने ऐसे जियालों को चुनौती दी है जिनको अपने इतिहास और कल्चर पर गर्व है, तुम ऐसों से मुक़ाबला करने के लिए तुले हुए हो जिनके पास ताक़त, पैसा, सैन्य महारत, जोश, अक़्ल, मज़बूत इरादे, हिम्मत और डट कर मुक़ाबला करने जैसी अनेक ख़ूबियां हैं इसलिए बहुत जल्द मैदान में हमारा और तुम्हारा आमना सामना होगा।
आपका Limousin मैगज़ीन को दिया जाने वाला इंटरव्यू
(इस पूरे इंटरव्यू से सवाल जवाब को हटा कर उन सभी सवालों और जवाबों का सारांश पेश किया जा रहा है।)
यह पहला मौक़ा था जब सय्यद हसन नसरुल्लाह ने अपने बारे में कुछ बात की थी, जिसको सुन कर ऐसा लगा कि सच में उनमें किसी तरह की कट्टरता नहीं पाई जाती, उन्होंने अपनी राजनीति, ज़ायोनी दरिंदों से डट कर मुक़ाबला करने और भी कई मुद्दों पर रौशनी डाली।
एक करिश्माई इंसान जिसका दिल ऐसा फ़ौलाद कि चारों ओर से हर समय धमकी के बावजूद उसकी ज़िंदगी में आराम ही आराम दिखाई देता है, जबकि ख़ुद उनको उनके बच्चों और पूरे परिवार को हर समय ज़ायोनी दरिंदों से ख़तरा था, जिस तरह कार से जा रहे हिज़्बुल्लाह के पूर्व लीडर सय्यद अब्बास मूसवी को एक सुनसान रास्ते में हेलीकॉप्टर की मदद से शहीद कर दिया था बिल्कुल उसी तरह हर समय आपके लिए भी ख़तरा बना रहता है लेकिन सलाम हो आपकी हिम्मत, बहादुरी और आपके ज़िम्मेदारी के एहसास पर जो कभी ज़ायोनी दरिंदों के डर से एक पल के लिए ख़ामोश नहीं बैठे, बल्कि जब भी जहां भी जैसी भी जिस मैदान में भी आपकी ज़रूरत हुई आप हमेशा वहां नज़र आए।
आपकी बहादुरी की मिसाल इससे बढ़ कर और क्या हो सकती है कि जहां बड़े बड़े राजनेता और संगठन के लीडर अपने बेटों को देश विदेश की बड़ी यूनिवर्सिटियों में पढ़ने के लिए भेजते हैं वहीं आपने अपने बेटों को लेबनान के जवानों के साथ ज़ायोनी हमलों का मुक़ाबला करने के लिए उन्हीं के साथ भेज दिया और जब आपके बेटे की शहादत की ख़बर आई तो दुनिया के किसी चैनल और मैगज़ीन ने नहीं लिखा कि आपने अपने बेटे की शहादत पर दुख का इज़हार किया हो, बल्कि आपको अपने बेटे हादी की शहादत पर लोगों से दुख जताने के बजाए बधाई की उम्मीद थी, आपके ईमान की बुलंदी का यह आलम था कि अपने जवान बेटे की शहादत की ख़बर पर वैसी ही प्रतिक्रिया ज़ाहिर की जैसी बाक़ी दूसरी ख़बरों पर ज़ाहिर करते हैं।
आपका बेटा हादी कई सालों तक इस्लामी प्रतिरोध का हिस्सा बन कर ज़ायोनी दरिंदों से लड़ता रहा, आपने अपने इतने महान बेटे की क़ुर्बानी के बाद उसे ज़ुल्म और हिंसा से नफ़रत करने वालों के लिए सम्मान और गर्व की बात बताया, आप दीन और इंसानियात के दुश्मन ज़ायोंनियों का डट कर मुक़ाबला करते हुए शहीद हो जाने वालों को विशेष सम्मान देते हैं और उन पर गर्व करते हैं, ऐसा नहीं है कि आपको अपने बेटे हादी से मोहब्बत नहीं थी बल्कि आप तो शहादत की ख़बर सुनने के बाद उसके दीदार के लिए बेचैन थे लेकिन सब्र और धीरज का दामन भी थामे हुए थे आपका ईमान बार बार कह रहा था कि हादी कामयाब हो गया और वह दिन दूर नहीं कि जब मैं उसे अल्लाह की बारगाह में अल्लाह के पास देखूंगा।
इमाम मूसा सद्र से आपकी मोहब्बत
जैसा कि आर्टिकल के पहले हिस्से में बयान किया गया आपके वालिद अब्दुल करीम की सब्ज़ी और फलों की दुकान थी जिसमें आप और आपके भाई अपने वालिद का हाथ बटाते थे जब आपके वालिद की आर्थिक हालात थोड़ी बेहतर हुई तो उन्होंने अपने ही मोहल्ले में एक सब्ज़ी और फलों की दुकान खोल ली, आप हमेशा की तरह अब भी उनका हाथ बटाने दुकान पर जाते थे, आपके वालिद की दुकान की दीवारों पर इमाम मूसा सद्र के फोटो लगे हुए थे, आप फोटो के सामने बैठ कर उन्हें देखा करते और जितना देखते उतना ही आपके दिल में उनकी मोहब्बत बढ़ती और फिर एक समय ऐसा आया कि आपके दिल में उनकी इतनी मोहब्बत पैदा हो गई कि आप उनके जैसा बनने की आरज़ू करने लगे।
आप मोहल्ले के दूसरे बच्चों की तरह पूरा दिन खेलकूद और नदी में तैरने और नहाने में गुज़ारने के बजाए मस्जिद में गुज़ारते थे और चूंकि आपके मोहल्ले में कोई मस्जिद नहीं थी इसलिए आप पास के मोहल्ले की मस्जिदों में जा कर इबादत करते थे।
....................